हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत, या अनिश्चितता सिद्धांत हमें बताता है कि किसी भी कण की स्थिति और गति को एक साथ निर्धारित करना असंभव है।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धान्त ~ Heisenberg Uncertainty Principle
जर्मन वैज्ञानिक वर्नर हाइजेनबर्ग ने इलेक्ट्रॉन में उत्पन्न तरंगों का अध्ययन किया और एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसके अनुसार “किसी सूक्ष्म कण की स्थति व संवेग का एक साथ सही – सही निर्धारण असम्भव है। “
अनिश्चितता सिद्धान्त को गणितीय रुप में निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं।
(∆P) (∆X) ≥ h/4π
इस समीकरण के अनुसार किसी गतिशील अति सूक्ष्म कण के संवेग की अनिश्चिता (∆P) और स्थिति की अनिश्चितता (∆X) का गुणनफल या तो h/4π के बराबर या उससे अधिक होता है , जहां h प्लांक नियतांक है।
हाइजेनबर्ग के नियम के अनुसार बताइए कि इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक में क्यों नहीं रह सकता ।
नाभिक की त्रिज्जा 10-13
अतः यदि इलेक्ट्रॉन नाभिक में है तो इसकी स्थति में अनिश्चितता 10-13 से कम होनी चाहिए ।
किन्तु (∆P) (∆X ≥ h/4π