संकरण Hybridization
पॉलिंग तथा स्लेटर ने 1935 में सहसंयोजक यौगिकों की ज्यामितीय आकृति को समझने के लिए परमाणुओं के कक्षकों के अतिव्यापन (Overlap) के लिए सिद्धान्त दिया जिसके अनुसार ” जब किसी परमाणु के लगभग समान ऊर्जा वाले विभिन्न कक्षकों का आपस में मिलना तथा समान ऊर्जा वाले एक ही आकार के समान संख्या के नए कक्षक बनाना संकरण कहलाता है तथा बनने वाले नए कक्षक संकरित कक्षक कहलाते है।”
संकरण के नियम ~ Rules Of Hybridization
- संकरण में लगभग समान ऊर्जा वाले एक ही कक्षक के परमाणु भाग लेते है।
- संकरण की क्रिया में जितने कक्षक भाग लेते है, उतने ही नए कक्षक बनते है।
- संकरण में अर्धपूर्ण, पूर्ण अथवा रिक्त कोई भी कक्षक भाग ले सकते है।
- संकरण के फलस्वरूप बनने वाले कक्षकों की ऊर्जा समान होती है।
- संकरण के आधार पर किसी अणु की ज्यामिति ( आकृति ) एवं बन्ध कोण ज्ञात किया जा सकता है।
संकरण के प्रकार
- sp संकरण
- Sp2 संकरण
- Sp3 संकरण
- Sp3d संकरण
- Sp3d2 संकरण