सिग्मा बन्ध
- इसमें इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतरानाभिकीय अक्ष पर अधिकतम होता है।
- यह कक्षकों के अक्षों पर अतिव्यापन से बनते है।
- यह बन्ध अधिक प्रबल होते है ।
- सिग्मा बन्ध में घूर्णन होता है।
- सिग्मा बन्ध किसी अणु में अकेले बन सकता है।
- सिग्मा बन्ध वाले परमाणु अत्यधिक प्रतिक्रियाशील हो सकते है।
- अणुओं के आकार को निर्धारित करने के लिए σ बन्ध का उपयोग किया जा सकता है।
पाई बन्ध
- इसमें इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतरानाभिकीय अक्ष पर शून्य होता है।
- यह दो p – कक्षकों या p व d या दो d – कक्षकों के पाश्वीय अतिव्यापन (Lateral Overlap) से बनते है।
- यह बंध दुर्बल होते है।
- π – बन्ध में मुक्त घूर्णन संभव नहीं है।
- π – बन्ध सिग्मा बन्ध बनने के बाद ही सम्भव है।
- π – बन्ध वाले परमाणु प्रकृति में उतनी प्रतिक्रियाशील नहीं होते है।
- π – बन्ध का उपयोग एक ही उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है ।