फाइल अवधारणा (File Concept)-
संबंधित जानकारियों के संग्रह को फाइल कहते हैं। फाइल के दो प्रकार होते हैं, पहला- लाजिकल (Logical) या प्रोग्रामर (programmer) व्यू जो यूजर (user) वास्तव में देखता है, और दूसरा फिजिकल (Physical) या ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) व्यू वो रूप जिस रूप में फाइल वास्तव में स्टोरेज में स्टोर रहती है।
कम्प्यूटर कई तरह के माध्यम में डाटा स्टोर करता है जैसे मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic Disc), मैग्नेटिक टेप्स (Magnetic Tapes), ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disks) ताकि कम्प्यूटर प्रणाली को उपयोग सुविधाजनक हो, ऑपरेटिंग सिस्टम जानकारी भंडारण का एक समान लोजिकल व्यू (Logical View) प्रदान करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) डाटा को फाइल के रूप में स्टोरेज (Storage) में स्टोर करता है जो कि स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices) भौतिक गुणों पर निर्भर नहीं करता है। यह स्टोरेज (Storage) आमतौर पर non-volatile होता है, इसका मतलब यह है कि डाटा Power Failures और System Reboots के बाद भी स्टोरेज (Storage) में सुरक्षित रहता है। जैसा कि हम जानते हैं, संबंधित सूचनाओं (Related Information) के संग्रह को फाइल कहते हैं जो कि सेकेंडरी स्टोरेज (Secondary Storage) में स्टोर होती है। एक उपयोगकर्ता के नजरिए से, एक फाइल सेकेंडरी स्टोरेज (Secondary Storage) में जगह (Space) का एक छोटा सा आवंटन मात्र है। इस का मतलब यह है कि यदि डाटा सेकेंडरी स्टोरेज (Secondary Storage) में स्टोर करना तो वह फाइल के रूप में ही स्टोर होगा। फाइल दो तरह की होती हैं-
- प्रोग्राम फाइल (Program Files) – किसी प्रोग्राम फाइल में बाइनरी ऑप्रेसन कोड (Binary Operation Code), एड्रेस (Address) और एम्बेडेड डेटा (Embedded Data) स्टोर होता है, जो कम्प्यूटर पर रन कर सकता है।
- डाटा फाइल (Data Files)– डेटा फाइलों में सांख्यिक (Numeric), एल्फाबेटिक (Alphabetic), अल्फानुमेरिक (Alphanumeric), या बाइनरी (Binary) डाटा स्टोर होता है।