सरल आवर्त गति की परिभाषा लिखिए । सरल आवर्त गति की आवश्यक शर्ते क्या है ।

सरल आवर्त गति

“यदि कोई कण या पिण्ड अपनी माध्य स्थिति या साम्यवस्थता के इधर – उधर एक सरल रेखा में गति करता है तो इस प्रकार की गति को सरल आवर्त गति कहते है।”

अथवा

“यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा पर मध्यमान स्थिति (mean position) के इधर – उधर इस प्रकार की गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो, तो उस गति को सरल आवर्त गति कहते है।”

माना कि यदि पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल F तथा विस्थापन d हो तो ,

F ∝ d

F = -kd

जहां K नियतांक है जिसे बल नियतांक कहते है और ऋणात्मक चिन्ह से पता चलता है कि बल की दिशा सदैव विस्थापन के विपरीत होती है।

सरल आवर्त गति की शर्ते

  • कण की गति सीधी रेखा में एक स्थिर बिंदु के इधर – उधर होती है ।
  • कण पर लगने वाला बल, सदैव उस स्थिर बिंदु के कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है ।
  • इस बल की दिशा सदैव उस स्थिर बिंदु की ओर होती है ।

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