ऊष्मागतिकी सम्बन्धी नियम ~ Laws Related To Thermodynamics
ऊष्मागतिकी के नियमों की सहायता से विभिन्न प्रक्रमों की व्याख्या करने में ली जाती है । ऊष्मागतिकी सम्बन्धी निम्न तीन नियम हैं –
- ऊष्मीय संतुलन – ऊष्मागतिकी का शून्यवां नियम (Thermal equilibrium – The zeroth law of thermodynamics)
- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम – ऊर्जा संरक्षण का नियम (First law of thermodynamics – Law of energy conservation)
- ऊष्मागतिकी का द्वतीय नियम (Second law of thermodynamics)
ऊष्मीय संतुलन – ऊष्मागतिकी का शून्यवां नियम (Thermal equilibrium – The zeroth law of thermodynamics)
इस नियम के अनुसार, ” यदि कोई दो निकाय A व B किसी तीसरे निकाय C के साथ अलग – अलग ऊष्मीय साम्यावस्था में है तो निकाय A व B भी आपस में ऊष्मीय साम्यावस्था में होंगे । “
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम – ऊर्जा संरक्षण का नियम (First law of thermodynamics – Law of energy conservation)
इस नियम के अनुसार, ” यदि हम किसी निकाय को ऊष्मा दें तो ऊष्मा का कुछ भाग निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में तथा शेष भाग निकाय द्वारा कार्य करने में व्यय होगा।” ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण पर आधरित है ।
माना A और B दो निकाय है जो तीसरे निकाय C के साथ तापीय साम्य में है । तब ऊष्मा गतिकी के शून्यवां नियम के अनुसार निकाय A और B भी तापीय साम्य में होगे ।
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम का भौतिक महत्व ~ Physical significance of first law of thermodynamics
- ऊष्मा ऊर्जा का ही एक रूप है।
- ऊष्मागतिक निकाय में ऊर्जा संरक्षित रहती है।
- प्रत्येक उष्मागतिकीय निकाय में आंतरिक ऊर्जा होती है जो केवल निकाय की अवस्था पर निर्भर करती है।
ऊष्मागतिकी का द्वतीय नियम (Second law of thermodynamics)
इस नियम के अनुसार, ” उष्मा का सम्पूर्ण रूप से यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन असम्भव है । ” इस नियम को व्यक्त करने के लिए निम्न कथन मुख्य हैं –
कैल्विन – प्लांक कथन (Kelvin – Plank Statement):- इस कथन के अनुसार, ” ऐसे ऊष्मा इंजन का निर्माण असम्भव है जो कि अवशोषित की गई सम्पूर्ण ऊष्मा को कार्य में बदल दे । “
इस कथन से स्पष्ट है कि किसी भी ऊष्मा इंजन (Heat engine) के सुचारू रूप से कार्य करते रहने के लिए सिंक की आवश्यकता होगी ।
क्लॉसियस कथन (Clausius Statement):- ” किसी भी ऐसी स्वतः कार्य करने वाली मशीन का निर्माण असम्भव है जो कि बाहरी अर्जा स्त्रोत के बिना ऊष्मा को निम्न ताप वाली वस्तु से लेकर अपेक्षाकृत उच्च ताप वाली वस्तु को दे दे । “